हर आहटों पर हमने मंजील को रुकते देखा है - Shayari
हर आहटों पर हमने मंजील को रुकते देखा है
मंजील की चाह मे मुसाफिर को झुकते देखा है
इतना समझ ले कि बागवां नही है जिन्दगी
हमने गुलो की शाख पे काँटो को आते देखा है
इस जिन्दगी मे आनी थी जो तमन्ना की बरात
वो तमन्नाओं का जंगल हमने उजड़्ते देखा है
लोग कहते है कि जिन्दगी प्यार का सागर होता है
गमों का समन्दर मगर हमने उफनते देखा है
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