चौथे अन्तर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का विधिवत शुभारम्भ

पटना। चौथे अन्तर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन ऑन स्टेट एंड सोसिओ आर्डर इन धर्म-धम्म ट्रेडिशनस कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री सत्य पाल सिंह मलिक, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, श्रीलंका के विदेश मंत्री श्री तिलक मारापाना, थाईलैंड के संस्कृति मंत्री श्री विरा राजपोज चनारत ने राष्ट्रगान से किया।

राजगीर अन्तर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह (तीन दिवसीय) कॉन्फ्रेंस 13 जनवरी तक चलेगा। महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, महामहिम राज्यपाल श्री सत्य पाल मलिक, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार सहित मंच पर मौजूद अतिथियों को बूके और मोमेंटों भेंट कर स्वागत किया गया।

महामहिम राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस के सफल होने की कामना की।

जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कॉन्फ्रेंस में मौजूद अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होनें कहा कि नालंदा के इस भूमि को एक कनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन सेंटर के रूप में स्थापित होना चाहिए ताकि दुनिया में किसी प्रकार का कनफ्लिक्ट नहीं रहे। इसके लिए जमीन की भी व्यवस्था कर दी गई है।

उन्होंने कहा कि कई देशों के राष्ट्रपति पधार सकते हैं उनके लिए स्टेट हाउस भी बनाने की व्यवस्था की जाएगी और उसके लिए भी जमीन उपलब्ध है ताकि जो भी लोग आए हैं वह स्टेट हाउस में ठहर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के लिए नालंदा यूनिवर्सिटी, इंडिया फाउंडेशन और एक्सटर्नल अफेयर्स को मैं धन्यवाद देता हूँ।
उन्होंने कहा कि नालंदा प्राचीन विश्वविद्यालय है और यह 8 वीं शताब्दी पूर्व में ध्वस्त हो चुका था। इसे फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसके लिए वर्ष 2007 में कानून बिहार सरकार ने बनाया साथ ही केंद्र से भी अनुरोध किया कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुनः बनाया जा सके। 

इस संदर्भ में पार्लियामेंट से एक्ट भी पारित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करने के लिए बिहार में जो संसाधन जुटाया गया था वह केंद्र के हवाले कर दिया गया और उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम साहब को बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। 
उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का काम धीरे-धीरे प्रारंभ हो चुका है और हम लोगों की यही ख्वाहिश है कि विश्वविद्यालय का नया कैंपस जल्दी से जल्दी बिल्ड अप हो जाए। उन्होंने कहा कि नालंदा यूनिवर्सिटी वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में वोट के जरिए घोषित हुआ ऐसे में राजगीर में भी जो आर्कियोलॉजिकलसाइट है उसको ध्यान में रखते हुए राजगीर को भी वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनाया जाए। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर का इतिहास बहुत पुराना है जहां भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त करने के पहले और ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी आए थे और यही गृद्धकूट पर्वत पर कई बार उपदेश भी दिए। यहाँ स्थित वेणु वन उनका आवास हुआ करता था। 
उन्होंने कहा की जरासंध इसी राजगृह के राजा थे। पांडु पोखर भी यही है। साइक्लोपीयन वॉल जो दुनिया का सबसे पुराना वॉल है वह भी इसी राजगीर में है ऐसे में राजगीर वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि धम्म का संदेश स्पष्ट है जो सत्य पर आधारित है, और सबकी इच्छा है की समाज में शांति, प्रेम, सद्भाव स्थापित हो साथ ही राग-द्वेष, माया-मोह का भाव खत्म हो धम्म का यही उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में इतने प्रकार के जो कनफ्लिक्ट है उससे छुटकारा पाने के लिए शांति अत्यंत आवश्यक है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण कुदरत की देन है उसका ध्यान रखना हम सबका दायित्व है जिसके बिना धरती का टिकना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार और भारत अनेक धर्मों की भूमि है। इसी बिहार में भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था जबकि भगवान महावीर को जन्म, ज्ञान और निर्माण इसी भूमि पर हुआ। उन्होंने कहा कि सिखों के दसवें गुरु दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म इसी बिहार के पटना साहिब में हुआ था और मलमास का मेला जिसमें 33 करोड़ देवी देवता मौजूद होते हैं वह भी इसी राजगीर में लगता है। माँ जानकी की जन्मभूमि यही बिहार है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीलंका से तो विशेष लगाव है। जहाँ सम्राट अशोक ने अपने बेटा और बेटी के माध्यम से बोधिवृक्ष भेजा था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के कार्य प्रणाली पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि काफी अनुरोध किया गया लेकिन वह न कुछ करता है और नहीं कुछ सुनता है ऐसे में तेल्हाड़ा का उत्खनन राज्य सरकार ने अपने दम पर करवाया जिसके उत्खनन से नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, उदवंत पूरी विश्वविद्यालय के बाद अब तेल्हाड़ा विश्वविद्यालय उभरकर सामने आया है। 
उन्होंने कहा कि तेल्हाड़ा खुदाई से पता चला है कि यह विश्वविद्यालय 5th सदी से बहुत पहले का है। उन्होंने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को कोई कठिनाई नहीं हो तो हम लोग अपने बल पर उत्खनन का कार्य करवा सकते हैं। लखीसराय कृमिला पहाड़ी पर हो रहे उत्खनन कार्य का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के सहयोगी कृमिल थे और वहाँ उत्खनन कराने के बाद बौद्ध विहार निकला है। साथ ही महात्मा बुद्ध की अद्भुत मूर्ति भी उत्खनन के क्रम में मिली है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि गया मोक्ष की भूमि है जहां हिंदू अपने पूर्वजों को पिंडदान करते हैं। उन्होंने कहा कि सत्य की खोज, प्रेम, सद्भावना और शांति धम्म का मकसद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद दूसरी बार महामहिम राष्ट्रपति जी का आगमन बिहार में हुआ है इसके लिए मैं उनका विशेष तौर पर स्वागत करता हूँ और मैं यह चाहता हूं कि साल में कम से कम दो बार बिहार के इस ऐतिहासिक भूमि पर महामहिम राष्ट्रपति जी का आगमन हो। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी बिहार के गवर्नर से सीधे राष्ट्रपति बने और वर्तमान में जो हमारे बिहार के गवर्नर श्री सत्यपाल मलिक जी हैं उनको एडवांस में मेरी शुभकामना है।


जनसभा को श्रीलंका के विदेश मंत्री श्री तिलक मारापाना, भारत सरकार विदेश मंत्रालय (पूर्वी) सचिव श्रीमती प्रीति शरण ने भी किया।
इस अवसर पर उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्री श्रवण कुमार सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार विधायक रवि ज्योति पन्द्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन0के0 सिंह, इंडिया फाउंडेशन के निदेशक श्री राम माधव, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीमती सुनैना सिंह, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, नालंदा विश्वविद्यालय गवर्निंग बोर्ड के सदस्य श्री अरविंद शर्मा, विशिष्ट अतिथिगण, कई देशों से आयें डेलीगेट सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थी।

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