संविदा स्वास्थ्य सेवकों के लिए बड़ी खुशखबरी, हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश

कोर्ट ने कहा है कि प्रशिक्षण के समय अर्हता पर ही नियुक्ति में शामिल किया जाये, बाद में शैक्षिक योग्यता के आधार पर कार्रवाई ना की जाये ।



इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 141 स्वास्थ्य सेवकों को भी गत वर्ष 2016 की सीधी भर्ती में प्रशिक्षण बैच वार वरिष्ठता क्रम से नियुक्ति करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रशिक्षण के समय अर्हता पर ही नियुक्ति में शामिल किया जाय। बाद में शैक्षिक योग्यता के आधार पर कार्रवाई ना की जाये ।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस आर मौर्या ने पिंकी सरकार और 140 अन्य स्वास्थ्य सेवकों की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका पर अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह पालीवाल ने बहस की। सरकार ने पहले ही आयु सीमा में छूट दे रखी है। न्यायालय के आदेश से वर्षों से संविदा पर कार्यरत सेवक सेविकाओं को नियमित नियुक्ति पाने का रास्ता साफ हो गया है।



बता दें कि यूपी सरकार एनआरएचएम के तहत शैक्षिक योग्यता के आधार पर सीधी भर्ती कर रही है। 141 स्वास्थ्य सेवकों ने इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि स्वास्थ्य सेवकों को बीमारियों से निपटने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है और याचिकाकर्ता विशेष प्रशिक्षित श्रेणी की योग्यता रखते हैं। ऐसे में वर्षों से कार्यरत स्वास्थ्य सेवकों को नियमित किए जाने की बजाय सरकार शैक्षिक योग्यता का आधार बनाकर उन्हें नियमितीकरण से वंचित नहीं कर सकती। स्वास्थ्य सेवकों ने खुद को नियमित किए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने शैक्षणिक आधार पर नियुक्ति को ठीक नहीं मानते हुए कहा कि नियमित नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होनी चाहिए।

सेवानिवृत्त इंजीनियर के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई पर प्रमुख सचिव गृह का हलफनामा तलब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में दस साल पुराने एफआईआर को लेकर लोक निर्माण विभाग के रिटायर सहायक अभियंता के खिलाफ की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर प्रमुख सचिव गृह से उनका व्यक्गित हलफनामा मांगा है।


कोर्ट ने पूछा है कि अक्टूबर 2007 में दर्ज प्राथमिकी को लेकर दस वर्ष बाद अचानक किस वजह से कार्रवाई की जा रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति वी के सिंह की खंडपीठ ने रिटायर सहायक अभियंता आर के राम गुप्ता की याचिका पर दिया है। याची के खिलाफ 11 अक्टूबर 2007 को आईपीसी की कई धाराओं समेत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत थाना कोतवाली चन्दौली में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। याची वहां 2000 से 2003 तक तैनात था। 30 नवम्बर 14 को वह रिटायर हो गया। सड़क एवं पुलिया निर्माण में अनियमितता को लेकर याची के खिलाफ विभागीय जांच भी हुई, जिसमें वह बरी हो गया। याचिका में अभियोजन स्वीकृति एवं प्राथमिकी को चुनौती दी गयी है। अगली सुनवाई 21 नवम्बर को होगी।

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